SHAB E BARAT NAMAZ KI NIYAT | SHAB E BARAT NAMAZ NIYAT | SHAB E BARAT – प्यारे प्यारे इस्लामिक भाइयो और बहनो इस्लाम में शब ए बरात की रात की बहुत ही खांस अहमियत है इस दिन पूरी रात ही कुरआन ए पाक की तिलावात करना चाहिए लेकिन साथ ही इस्लामिक भाई बहन है शब ए बरात की रात नमाज़ भी पढ़ते है इसलिए हम आपके लिए SHAB E BARAT NAMAZ KI NIYAT की जानकारी यहाँ दे रहे है

शब-ए-बरात – SHABE BARAT
इस्लाम धर्म में शब-ए-बरात – SHABE BARAT की रात को बहुत ही मुबारक रात मानी जाती है जो इस्लामिक कैलेंडर के शाबान की 15वीं रात को आती है इस्लाम के अनुसार शब-ए-बराततौबा, माफी और इबादत की रात मानी जाती है
1. मगफिरत (माफी) की रात
शब-ए-बरात की रात को गुनाहों की माफी की रात कहा जाता है। इस रात में अल्लाह तआला अपने बंदों की तौबा को कुबूल करते हैं और गुनाहों को माफ करते हैं।
2. तक़सीम-ए-रिज़्क़ और मौत का फैसला:
इस रात में अगले साल के लिए लोगों के रिज़्क़ (रोज़ी-रोटी), उम्र और मौत के फैसले लिखे जाते हैं। इसलिए भी यह रात इस्लाम में बहुत खांस है
3. बारगाह-ए-इलाही में दुआ:
इस रात में मुसलमान मर्द और औरत इबादत, नफ्ल नमाज़, कुरान की तिलावत और दुआ करते हैं, ताकि अल्लाह से बरकत, माफी और रहमत की दुआ करते है
4. कब्रिस्तान की ज़ियारत:
शब ए बरात की रात को मुसलमान कब्रिस्तान पर जाकर अपने मरहूम, मरहूम रिश्तेदारों के लिए दुआ मांगते है – जैसे कब्र के अजाब से छुटकारा और जन्नत में आला मुकाम इत्यादि
शब-ए-बरात क्यों मनाया जाता है?
शब-ए-बरात इस्लाम में एक मुबारक रात मानी जाती है, जो शाबान की 15वीं रात को आती है। इसे तौबा, माफी और इबादत की रात माना जाता है। इसके पीछे कई वजहें हैं:
5. हज़रत मुहम्मद (ﷺ) की हदीस:
तौबा और माफी: “जब शाबान की 15वीं रात हो, तो रात में इबादत करो और दिन में रोज़ा रखो, क्योंकि उस रात में अल्लाह तआला सूरज डूबने के वक्त से ही दुनिया के सबसे निचले आसमान पर तजल्ली फरमाते हैं और फरमाते हैं: ‘है कोई माफी मांगने वाला, जिसे मैं माफ करूं? है कोई रोज़ी मांगने वाला, जिसे मैं रोज़ी दूं? है कोई परेशानहाल, जिसे मैं राहत दूं?’ ये सिलसिला फज्र तक चलता रहता है।” — (इब्ने माजा)
SHAB E BARAT NAMAZ KI NIYAT | SHAB E BARAT NAMAZ NIYAT | SHAB E BARAT
नियत की मैंने दो रकअत शबे बरात की नफ़्ल नमाज की खास वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाह हू अकबर
niyat kee mainne do rakat shabe baraat kee nafl namaaj kee khaas vaaste allaah taaala ke munh mera kaaba shareeph kee taraph allaah hoo akabar
لقد قررت أن أصلي ركعتين من صلاة شاب براء نافل نماز، خاصة تجاه فم الله تعالى، تجاه الكعبة الشريفة، الله أكبر.
میں نے شب برات کی دو رکعت نفل پڑھنے کا ارادہ کیا، خاص طور پر اللہ تعالی کے منہ کی طرف، کعبہ شریف کی طرف، اللہ اکبر۔
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