SHAB E BARAT – 2025 में शबे बारात कब है यहाँ जाने पूरी जानकारी

SHAB E BARAT - 2025 में शबे बारात कब है
SHAB E BARAT - 2025 में शबे बारात कब है

SHAB E BARAT – 2025 में शबे बारात कब है यहाँ जाने पूरी जानकारी – इस्लाम समुदाय का एक बड़ा पर्व शब ए बारात, शबे बारात भी है इसे अन्य नाम जैसे शुभ रात/सुबरात/शब्बे बारात से भी जाना जाता है। हर साल इस्लामिक महीने में 14वी तारीख को शब ए बारात/शबे बारात का पर्व बड़े शान्ति से मनाया जाता है

SHAB E BARAT - 2025 में शबे बारात कब है
SHAB E BARAT 2025 में शबे बारात कब है

2025 में शबे बारात कब है

शब-ए बारात/शबे बारात/सुबरात, इस्लामिक शाबान महीने की 14वीं तारीख को मनाया जाता है सूर्यास्त के बाद शब-ए बारात – शबे बारात शुरू होता है और15वीं तारीख की शाम को ख़त्म हो जाता है।

इस्लाम में ख़ास शब ए बारात की नमाज भी पढ़ा जाताहै 2025 में शुक्रवार, 14 फ़रवरी को शब-ए बारात, शबे बारात का त्यौहार आ रहा है जाएगा शबे बरात के लिए रोजा भी रखा जाता है इस बात का ध्यान दे शब-ए बारात शबे बारात चाँद पर निर्भर करता है इसलिए एक दो दिन इधर उधर भी हो सकता है

शब-ए बारात क्यों मनाया जाता है – SHAB E BARAT

इस्लाम धर्म के अनुसार शब-ए बारात की रात अल्लाह पाक की इबादत की रात है। अगर शब-ए बारात की रात सच्चे दिल से अल्लाह पाक की इबादत और अल्लाह पाक से अपने गुनाहों की तौबा की जाए तो ऐसे में अल्लाह पाक सभी गुनाह को माफ़ कर देता है।

शब-ए-बारात दो शब्द शब एंव बारात से मिलकर बना है। शब-ए-बारात का अर्थ मतलब होता है: शब का मतलब रात एंव बारात का मतलब बरी यानी बरी वाली रात। आगे जाने शब-ए-बारात का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? 2025 में शबे बरात किस तारीख को कब है है?

शबे बारात की रात मुसलमानों के लिए बेहद फज़ीलत वाली रात है। इस रात को मुस्लिम भाई बहन अल्लाह पाक की इबादत करते है। अल्लाह पाक की इबादत के साथ साथ अल्लाह पाक से दुआंए और अपने गुनाह की मांफी भी मागते है।

सऊदी अरब में शब-ए-बारात को “लैलतुल बराह या लैलतुन निसफे मीन शाबान” के नाम से जाना जाता है। शब-ए-बारात के नाम से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, अफ़ग़ानिस्तान और नेपाल में जाना जाता है।

शब-ए बारात की रात में क्या पढ़े

शब-ए-बारात की रात में जो उनके अपने इंतकाल/रुखसत/मर जाना/अलविदा कर गए। उनकी कब्र पर जाकर मगफिरत की दुआ/फ़ातिहा/कब्र के अजाब से बचाने की दुआ/इत्यादि पढ़ते है इस रात अल्लाह पाक की तिलावत/इबादत भी किया जाता है खुद के गुनाहों साथ ही अपने बुजुर्गो या फिर जितने भी दुनिया में इससे पहले गुजर चुके है।

उनके गुनाह माफ़ करने के लिए अल्लाह पाक से दुआं करते है। मस्जिद में मुस्लिम समुदाय के भाई, तकरीर सुनते है कुछ घर पर रहकर तिलावत करते है एंव कुछ आला औलिया के मजार पर जाते है और पीर/फ़क़ीर/बाबा/इत्यादि का वसीला लेकर अल्लाह पाक से खुद के गुनाह मांफ मांगते है जो इस दुनिया से जा चुके है शब ए बारात/शबे बारात पर उनके मग्फिरत की दुआ के लिए वसीला से दुआ मागते है।

यह रात रहमत की रात मानी जाती है। इस दिन अल्लाह पाक कब्र के सभी इंसानों/मुर्दों को आजाद कर देता है। ऐसे में मुस्लिम भाई इस उम्मीद में होते है। उनके अपने घर आ सकते है इसलिए शब ए बारात की रात मीठा बनाते है। जैसे: हलवा या मीठा कुछ

READ MOER