BAKRA EID KI KAHANI IN HINDI बकरा ईद की कहानी BAKRA EID QURBANI KA WAQIA बकरीद की कुर्बानी का बयान बकरे की कुर्बानी का बयान
बकरीद, जिसे ईद-उल-अजहा या ईद-ए-कुर्बान के नाम से भी जाना जाता है, इस्लामी धर्म के अनुयायों द्वारा मनाई जाने वाली महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
इस दिन मुसलमान लोग अपनी पूजा और नमाज़ के बाद बकरी को बलिदान करते हैं, जिसकी यात्रा दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित हज़रत निजामुद्दीन दरगाह से शुरू होती है और पुरे देश में व्यापक रूप से मनाई जाती है।
BAKRA EID KI KAHANI
READ HERE BAKRA EID KI KAHANI – मुसलमान धर्मग्रंथ कुरान में मौजूद है। यह कहानी पैगंबर इब्राहिम (अब्राहम) के ऊपर आधारित है। इब्राहिम भक्ति और विश्वास के प्रतीक माने जाते हैं।
कहानी के अनुसार, ईश्वर ने एक सपने में इब्राहिम को दिखाया कि वह अपने पुत्र इस्माईल की बलिदान करने के लिए तैयार हो जाएं। इब्राहिम, जो अपने ईश्वर में अटूट विश्वास रखते थे, उस संकेत को समझ गए और तैयार हुए।
इस परीक्षा में उनके बेटे इस्माईल भी स्थिर रहे और वे तय किए गए स्थान पर पहुंचे। इब्राहिम ने अपने बेटे को अपने मन की बात बताई और उन्हें अपने ईश्वर में अटूट विश्वास के साथ उनकी बलिदानी आवश्यकता का पालन करने की कहा। इस्माईल भी इस बात को स्वीकार कर लिया और बिना किसी संदेह के तैयार हो गए।
जब इब्राहिम ने अपने बेटे को बलिदान करने के लिए तैयार कर दिया, तो ईश्वर ने अचानक एक बकरी को दिखाया और कहा कि यह बकरी इस्माईल की बजाय इसे बलिदान कर दो। इब्राहिम और इस्माईल ने अपने ईश्वर की आदेश का पालन किया और बकरी को बलिदान कर दिया।
बकरे की कुर्बानी का बयान
आप पढ़े बकरे की कुर्बानी का बयान –
यह कहानी मुसलमान समुदाय में अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो ईश्वर में विश्वास की महत्ता को दिखाती है। बकरीद का यह दिन इस्लामी समुदाय में एक पवित्र त्योहार के रूप में मनाया जाता है
जहां मुसलमान लोग भगवान के सामर्पण की उपासना करते हैं और दूसरों के साथ अपनी खुशी और धन्यवाद साझा करते हैं। यह कहानी धर्म, विश्वास, और समर्पण के महत्व को प्रकट करती है
मुसलमान समुदाय के लोगों को ईश्वर में अटल विश्वास की महत्ता को याद दिलाती है। यह एक पवित्र कथा है जो समाज में शांति, समरसता, और समर्पण को प्रोत्साहित करती है।
कुर्बानी, ईस्लामी धर्म में बकरीद या ईद-उल-अजहा के दौरान बकरी की बलिदान को कहते हैं। यह एक प्राचीन प्रथा है जो पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के इर्शाद और इब्राहिम (अब्राहम) के प्रमाण से प्राप्त हुई है।
कुर्बानी का अर्थ होता है अपने ईश्वर के लिए समर्पित करना। यह बकरीद के दौरान मुसलमान समुदाय के लोगों द्वारा अदा की जाती है। इस दिन मुसलमान लोग अपनी पूजा, नमाज़ और तसबीह (धार्मिक मंत्रों का जाप) के बाद बकरी की बलिदानी करते हैं।
बकरी की चयनित नस्लों में से एक बकरी को विशेष तैयारी के साथ चुना जाता है। इस बकरी को मस्जिद में या बकरी की खरीद पर निर्धारित स्थान पर ले जाया जाता है। वहां पर इमाम या आदर्श मुसलमान जो इस्लामी विधि को जानते हैं, बकरी की बलिदानी का अधिकार रखते हैं।
बकरा ईद की कहानी
आप पढ़ रहे बकरा ईद की कहानी – बकरी की बलिदानी के पूर्व बकरी को विशेष ढंग से संबंधित व्यक्ति द्वारा तैयार किया जाता है। बकरी के सिर पर चाकू या तीखी चारा लगाकर उसे तैयार किया जाता है। फिर उसे अदा करने से पहले बकरी को बांधा जाता है, जिससे वह दबंग न हो सके।
फिर बकरी के बालों की एक तिहाई हिस्सा और नाखून काटे जाते हैं और तबीयती कागज़ का इस्तेमाल करके उसकी उम्र की जांच की जाती है। अगर बकरी प्राप्त उम्र में है, तो उसे बकरी की बलिदानी के लिए मंजूर किया जाता है
बकरी की बलिदानी के समय उसे चाकू द्वारा जल्दी से गला काट दिया जाता है, जिससे उसका मरने का दर्द कम हो जाता है। इसके बाद बकरी की लाश को अंधेरे स्थान में उतारा जाता है और वहां पर उसका मांस वितरित किया जाता है। इस्लामी धर्म में कुर्बानी का मकसद है ईश्वर के प्रति समर्पण, करुणा, और दया का अभिव्यक्ति करना।
कुर्बानी के द्वारा मुसलमान समुदाय के लोग अपनी निःस्वार्थता, त्याग, और सहानुभूति का संकेत देते हैं। इसके अलावा, उन्हें यह भी याद दिलाया जाता है कि जीवन में सर्वोपरि ईश्वर के प्रति समर्पण और आदर्शों का पालन करना आवश्यक है।
कुर्बानी का बयान यह प्रकट करता है कि धर्म, सेवा, और ईश्वर में श्रद्धा के माध्यम से हम अपने आप को समर्पित कर सकते हैं और उनकी मर्यादा का पालन कर सकते हैं। यह हमें एक अपार उच्चतम प्राणी की महत्वपूर्णता, मानवीयता, और समर्पण के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करता है।
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