BAKRID KAB HAI बकरीद कब है बकरीद का रोजा कब है

BAKRID KAB HAI बकरीद कब है बकरीद का रोजा कब है
BAKRID KAB HAI बकरीद कब है बकरीद का रोजा कब है

BAKRID KAB HAI बकरीद कब है बकरीद का रोजा कब है Eid UL Adha Ka Chand Dekhne Ki Dua BAKRID KA CHAND KAB DIKHEGA BAKRID KA CHAND DEKHNE KI DUA

हर साल की तरह ईद उल अजहा बकरीद मनाया जाता है भारत में ईद उल अजहा को बकरीद, बकरा ईद, के नाम से भी जाना जाता है इस्लाम धर्म में Eid ul Adha पर्व को बहुत ही अहमियत दी जाती है इस दिन इस्लाम के मानने वाले ईद उल अजहा की नमाज पढ़ते है, रोजा रखते है साथ ही बकरा की कुर्बानी, बड़े जानवर की कुर्बानी, ऊंट की कुर्बानी भी देते है

BAKRID KAB HAI बकरीद कब है बकरीद का रोजा कब है
बकरीद कब है बकरीद का रोजा कब है

BAKRID KAB HAI

BAKRID KAB HAI 2024 – अंग्रेजी कैलंडर के अनुसार ईद उल अजहा इस साल बकरीद सूर्य की शाम, 16 जून, 2024 – सोमवार, 17 जून, 2024 को आ रहा है इस पर्व रोजा भी रखा जाता है ईद उल अजहा इस्लामी साल का आखरी महीना है जिस दिन ईद उल अजहा का चाँद दिखाई दे जाता है उसके 10 दिन बाद ईद उल अजहा की नमाज पढ़ी जाती है

नमाज के बाद ईद उल अजहा के दिन कुर्बानी भी की जाती है इस साल बकरीद सूर्य की शाम, 16 जून, 2024 – सोमवार, 17 जून, 2024 को आ रहा है ऐसे में ईद उल अजहा की पहला रोजा के लिए सेहरी खाई जायगी मंगलवार को पहला रोजा रखा जायेगा इसके बाद दूसरा रोजा तीसरा रोजा बुधवार के दिन आखिरी रोजा यानि अरफा रोजा होगा अरफा रोजा ईद उल अजहा का आखिर एंव 9वा रोजा होगा

BAKRID KA CHAND DEKHNE KI DUA

इस्लाम में Eid UL Adha BAKRID के चाँद को बहुत ही अहमियत दी जाती है साथ ही यह चाँद देखने पर दुआ भी पढ़ी जाती है ईद उल अजहा देखने की दुआ निम्नवत है –

Chand Dekhne Ki Dua

“اللَّهُمَّ أَهِلَّهُ عَلَيْنَا بِالْأَمْنِ وَالْإِيمَانِ وَالسَّلَامَةِ وَالْإِسْلَامِ، رَبِّي وَرَبُّكَ اللَّهُ”

अल्लाहुम्मा अहिल लहू अलैना बिल अमनि वल इमानि वस सलामति वल इस्लामि वत तौफीकि लिमा तुहिब्बु व तरज़ा रब्बी व रब्बुकल लाह”

ए अल्लाह ! हम पर इस चाँद को अम्नो ईमान, सलामती और इस्लाम और उस चीज़ की तौफ़ीक़ के साथ तुलु फरमा जो आप पसंद करते हैं और जिसमें आपकी रिज़ा (रज़ा) है (ए चाँद!) मेरा और तेरा रब अल्लाह है”

ROZE KI FAZILAT HADEES

हज़रत मुहम्मद ﷺ से यौम ए अरफ़ा (9वीं ज़िल हज) का रोज़ा रखने के बारे में मुझसे पूछा गया तो अपने फरमाया के – 9 ज़िल हज का रोज़ा पिछला और अगले साल का गुनाह मिटा देता है –(सहीह मुस्लिम शरीफ – किताब उस सियाम -हदीस शरीफ नंबर 1162

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