UMRAH KARNE KA TARIKA IN HINDI PDF उमराह करने का तरीका umrah karne ka tarika for ladies PDF Umrah Ka Tariqa DawateIslami
उमराह क्या होता है
हज की ही तरह उमराह भी इस्लाम के मानने वाले लोग करते है उमराह और हज में कोई खांस फर्क नहीं होता है हज के लिए एक खांस महिना मुक़र्रर होता है जबकि उमराह साल में कभी किया जा सकता है उमराह को जियारत और हज-असगर के नाम भी जाना जाता है अहराम बाँध कर सफा और मरवा की सई को उमराह कहते है।
कुरआन के अनुसार –
وَلِلَّهِ عَلَى النَّاسِ حِجُّ الْبَيْتِ مَنِ اسْتَطَاعَ إِلَيْهِ سَبِيلاً وَمَن كَفَرَ فَإِنَّ اللَّهَ غَنِيٌّ عَنِ الْعَلَمِينَ ) أسورة آل عمران
अल्लाह तआला ने उन लोगों पर जो उस तक पहुँचने का सामर्थ्य रखते हैं इस घर का हज्ज करना अनिवार्य कर दिया है, और जो कोई कुफ करे (न माने) तो अल्लाह तआला (उस से बल्कि) सर्व संसार से बेनियाज़ है। – ~ सूरत आल-इम्रानः ६७
उमराह करने का तरीका
हज का तरीका और उमराह करने का तरीका यहाँ हिंदी में पढ़े –
एहराम बांधने से उमरा की शुरूवात करे जब यह उमराह का सफ़र मुक्कमल होने के करीब हो यानी जब उमराह के स्थान बैतुल्लाह शरीफ़ पहुँच जाएँ
तलबिया (लब्बैक….) कहे तलबिया (लब्बैक….) कहते हुए दुआएं मांगता हुआ बैतुल्लाह का सात बार तवाफ़ करे तवाफ़ हजरे अस्वद से बोसा देकर शुरू करे और हर तवाफ़ के बाद उसे बोसा दे।
अगर भीड़ इस कदर है कि हजरे अस्वद को बोसा देना नहीं हो सकता ऐसे में लकड़ी, उसे लगाकर या कपड़ा से उसे छूकर बोसा दे देना काफ़ी है। तवाफ़ की अलग-अलग दुआएं नक़ल की गई है हम दो-तीन नक़ल करते है।
UMRAH KARNE KA TARIKA
उमराह करने का तरीका UMRAH KARNE KA TARIKA – तवाफ़ की अलग-अलग दुआएं नक़ल की गई है आगे पढ़े तवाफ़ की दुआ हिंदी में लिखा हुआ
Tawaf Ki Dua Hindi
बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अक्बरु अल्लाहुम-म इन्नी अस अलुक्ल अफ़व वल आफ़ि-य-त फ़िद-दुन्या वल आखिरति सुबहानल्लाहि वल हम्दु लिल्लाहि व ला इला-ह इल्लल्लाहु वल्लल्लाहु अक्बर व ला हौ-ल व ला क्रू-व-त इल्ला बिल्लाहि”
तर्जुमा – शुरू करता हूं अल्लाह के नाम से जो सबसे बड़ा है। ऐ अल्लाह ! मैं तुझसे दुनिया और आखिरत में माफ़ी और आफ़ियत चाहता हूं। अल्लाह पाक ज्ञात है और सब तारीफ़ अल्लाह के लिए हैं और अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और अल्लाह सबसे बड़ा है और अल्लाह की मदद के बग़ैर हम में किसी काम की ताक़त नहीं ।
Tawaf Ki Dua Hindi – लब्बैका अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैका ला शरीका लका लब्बैक, ईन्नल-हम्दा वन्नि’ मता लका वल-मुल्क, ला शरीका लक।
प्यारे प्यारे इस्लामिक भाइयों और बहनों जैसा हमने पहले ही कहा – हज और उमराह में कोई खांस फर्क नहीं होता है हज के लिए एक खांस महिना मुकर्रर है लेकिन उमरह साल में कभी भी किया जा सकता है उमराह करना सुन्नते-मुकदा है। जिसे जीवन में एक बार करना चाहिए अगर आपको हज और उमराह का तरीका पीडीऍफ़ चाहिए तो पीडीऍफ़ बुक डाउनलोड करें
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