SHIA VS SUNNI MUSLIM IN HINDI शिया और सुन्नी मुसलमानों में क्या अंतर है – इस्लाम धर्म कई फिरको में बटा है अभी हमने कुछ दिन पहले बात की इस्लाम के ७२ फिरके की इस्लाम धर्म में मुख्य 2 सम्प्रदाय है
पहला शिया और दुसरा सुन्नी लेकिन दोनों सम्प्रदाय में बहुत अंतर भी है ऐसे में आज शिया और सुन्नी मुसलमानों में क्या अंतर है? इत्यादि की जानकारी देने वाले है
SHIA VS SUNNI MUSLIM IN HINDI
READ HERE SHIA VS SUNNI MUSLIM IN HINDI – शिया और सुन्नी दोनों ही सम्प्रदाय एक अल्लाह पर विश्वास करते है लेकिन दोनों समुदाय में बहुत मतभेद है यह मतभेद हुजुर पाक सल्लाहु अलैहि सल्लम के वफात (वफात का मतलब अर्थ मृत्यु, मौत) के बाद से ही चला आ रहा है आइये जाने शिया और सुन्नी मुसलमानों में क्या अंतर है
इस्लाम धर्म की उत्पत्ति लगभग ७वी सदी हुई थी एंव इस्लाम के संस्थापक हजरत मुहम्मद (ﷺ) साहब के वफात के बाद नए उत्तराधिकारी के लिए शिया और सुन्नी दोनों में विवाद होना शुरू हो गया
शिया सम्प्रदाय का कहना था – मुहम्मद साहब (ﷺ) ने अपने चचेरे भाई और दामाद अली को इस्लाम का उत्तराधिकारी बनाया है सुन्नी सम्प्रदाय का कहना है हजरत अली (रजी०) को ध्यान रखने को कहा गया है और और उत्तराधिकारी अबू बकर (रजी०) को होना चाहिए जो लोग हजरत अली (रजी०) को उत्तराधिकारी चाहते थे उन्हें शिया के नाम से जाना जाता है
और जो लोग अबू बकर (रजी०) को उत्तराधिकारी चाहते थे उन्हें सुन्नी कहा जाता है शिया VS सुन्नी उत्तराधिकारी विवाद के बावजूद सुन्नी अबू बकर (रजी०) को खलीफा बनाया गया
यह प्रक्रिया दो अन्य खलीफाओ तक चलता रहा इसके बाद दो अन्य खलीफाओ के बाद हजरत अली (रजी०) को खलीफा बनाया गया जिन्हें शिया अपना खलीफा चाहते थे यह विवाद तब से आज तक चला आ रहा है
दुसरे तीसरे एंव चौथे खलीफा (उमर, उस्मान और अली) हत्या कर दी गई शिया समुदाय के लोग खलीफा को इमाम कहते है जबकि सुन्नी खलीफा इमाम हुसैन की शहादत (क़ुर्बानी) को याद करते हुए यौम-ए-आशूरा मनाया गया जिसे मुहर्रम के नाम से भी जाना जाता है इस दिन को शिया और सुन्नी दोनों सम्प्रदाय बहुत ख़ास मानते है लेकिन शिया सम्प्रदाय के लोग इस दिन मातम मनाते है
शिया और सुन्नी मुसलमानों में क्या अंतर है
यहाँ पढ़े शिया और सुन्नी मुसलमानों में क्या अंतर है SHIA VS SUNNI MUSLIM IN HINDI –
शिया और सुन्नी दोनों इमाम हुसैन यौम-ए-आशूरा (मुहर्रम) का दिन मनाते है लेकिन शिया इस दिन को ईराक शहर में घटी घटना इमाम हुसैन की शहादत को याद करते है एंव मातम करते है
शिया समुदाय की महिलाए एंव पुरुष यौम-ए-आशूरा के दिन काला लिबास (लिबास मतलब अर्थ कपडा) पहनकर मातम या गम में हिस्सा लेते है यह समुदाय (शिया) मातम कुछ इस तरह मनाते है –
आग पर चलना, तलवारों से खुद को चोट पहुचाना, जंजीर और छुरी से खुद को चोट पहुचाकर इत्यादि तरीके से मातम का इजहार करते है इस तरह से शिया मातम मनाते है और खुद को लहूलुहान कर लेते है
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