SHAB E BARAT शबे बारात क्यों मनाया जाता है SHAB E BARAT KYU MANAYA JATA HAI शब-ए-बारात क्यों मनाया जाता है शब-ए रात का अर्थ शब-ए-बारात का मतलब जाने हिंदी में
इस्लाम धर्म का एक पर्व का नाम शबे बारात (Shab e Barat) है इस पर्व को अन्य नाम से भी जाना जाता है जैसे सुबरात, शब-ए-बारात, लैलतुल बराह, लैलतुन निसफे, मीन शाबान इत्यादि इस्लाम धर्म का यह पर्व बहुत ही शांति भरा पर्व है इस पर्व को रात्री में मनाया जाता है जिस दिन शबे बारात त्यौहार होता है उस दिन शाम से भी मुस्लिम मुहल्लों में चहल पहल शुरू हो जाती है
रात्री में शबे बारात का पर्व मनाया जाता है इसलिए इस दिन ख़ास इन्तेजाम भी किया जाता है क्योंकि शबे बारात की रात अल्लाह की इबादत के साथ कब्र में जो मखलुक/इंसान जा चुके है उनके मगफिरत की दुआ भी की जाती है इसके लिए पूरी रात मुस्लिम हजरात अकेले और परिवार के साथ भी कब्रगाह/कब्रिस्तान पर जाते है
शबे बारात क्यों मनाया जाता है
यहाँ जाने शबे बारात क्यों मनाया जाता है SHAB E BARAT- इस्लाम धर्म में शबे बारात की रात को बहुत बरकत और अफजल रात कहा गया है मान्यता है कि अल्लाह रब्बुल इज्जत शबे बारात की रात की दुआ को काबुल करता है और इस रात में एक घड़ी/समय ऐसी है जिसमे कोई शख्स दुआं करें तो उसकी दुआ कबुल होती है
इसलिए इस्लाम धर्म में इस दिन को बहुत अहमियत दी जाती है और इस रात को कुरआन पढ़ना/नमाज पढ़ना/दरगाह जियारत करना/मस्जिद में इमाम की बताएं हुए बातों को सुनना इत्यादि किया जाता हैसरल भाषा में कहे तो अल्लाह पाक इस दिन दुआ कबूल करता है इसलिए मोमिन भाई बहन इस दिन दुआ करते है और अल्लाह पाक से अपनी और महरूम लोगो की मगफिरत की दुआ करते है इन सभी कारणों के कारण शबे बारात का पर्व मनाया जाता है
अक्सर गैर मुस्लिम जो नहीं जानते है शब ए बारात कैसे मनाया जाता है इस सवाल को करते है तो ऐसे में आपको बता दें शब ए बारात के दिन क्या क्या होता है पहले वह जाने क्योंकि वही शब ए बारात मनाने का तरीका है
SHAB E BARAT KYU MANAYA JATA HAI
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शब ए बारात के दिन अल्लाह की इबादत की जाती है कब्रगाह/कब्रिस्तान को शब ए बारात के दिन सजा दिया जाता है सजाने का मुख्य कारण यह है की कब्र पर अँधेरा होता है इस दिन मुस्लिम भाई लोग पूरी रात कब्र पर आते जाते है इसलिए लाइट लगाकर सजा देते है
इस दिन हलवा बनाने की परम्परा भी निभाई जाती है मान्यता है की शब ए बारात की रात जो जो इस दुनिया जा चुके है वह अपने रिश्तेदार की घर पर आते है इसलिए उनके खाने के सामानों को रखा जाता है खाने के सामानों पर फातिहा देने की भी परम्परा निभाई जाती है
दरगाह/मजार पर लोग जियारत के लिए जाते है कब्रगाह पर जाकर फातिहा पढ़ते है घर पर रहकर कुरआन की तिलावत करते है महिलाऐं कब्र पर नहीं जाती है लेकिन वह घर पर रहकर शब ए बारात के दिन अल्लाह की इबादत करती है
शब-ए-बारात का मतलब
इस्लाम धर्म में शब-ए-बारात (Shab e Barat) का पर्व रात में मनाया जाता है जिन्हें नहीं मालुम है शब-ए-बारात का मतलब क्या होता है उन्हें बता दें
शब-ए-बारात दो शब्दों से बना है- शब और बारात जिसमे शब् का मतलब/अर्थ होता है~ रात और बारात का मतलब/अर्थ होता है ~ बरी इस तरह से शब-ए-बारात का मतलब हुआ बरी वाले रात मान्यता है कि इस दिन कब्र से मुर्दों को भी बरी इस रात को कर दिया जाता है इस तरह से बरी वाली रात का नाम शब-ए-बारात रखा गया है
इस्लाम धर्म के अनुसार शबे बारात इसलिए मनाया जाता है क्योंकि मरने के बाद, पाप पूण्य का हिसाब किताब होगा इसलिए खुद के लिए पहले से और जो कब्रगाह में है उनके लिए मगफिरत की दुआ की जाती है और अपने गुनाहों की मांफी मांगी जाती है अल्लाह रब्बुल इज्जत इस रात में दुआ कबुल करता है ऐसी मान्यता है इसलिए शबे बारात मनाया जाता है
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