KUNDA KAB HAI KUNDA KITNE TARIKH KO HAI कब है कुंडा कितने तारीख को है कुंडा का त्यौहार क्यों मनाया जाता है कुंडा का फातिहा कब है
हर वर्ष कुंडा का त्यौहार हिजरी कैलेंडर के अनुसार 15 रजब एंव 22 रजब को मनाया जाता है इस हिसाब से कुंडा का त्यौहार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 06 फरवरी एंव 13 फरवरी 2024 को मनाया जाएगा ऐसे बहुत से मुस्लिम भाइयो का कहना है कुंडे की फातिहा बाईस रजब को करना चाहिए
जबकि कुंडा का फातिहा “सहाबी ए रसूल हज़रत अमीर मुआविया” के नाम पर किया जाता है जिनका इन्तेकाल 22 रजब हुआ था इसलिए बाईस रजब को राफ्ज़ी (शिया) इस दिन को खुशी के तौर पर मनाते है
मेरे सुन्नी भाइयो अगर आपको कुंडा का त्यौहार की फातिहा करना है ऐसे में आप हिजरी कैलेंडर के अनुसार 15 रजब को ही कुंडे की फातिहा करे क्यों की इसी दिन “सहाबी ए रसूल हज़रत अमीर मुआविया साहब” का यौमे पैदाइस हुआ है
कुंडा का फातिहा कब है
06 फरवरी 2025 को सुन्नी मुस्लिम कुंडा फातिहा करें 22 रजब को राफ्जी शिया खुशी के तौर पर मनाते है अग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार 22 रजब 13 फरवरी 2025 को है 15 रजब को सुन्नी मुसलमान कुंडा फातिहा करते हैअंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार 15 रजब 06 फरवरी 2025 पर आ रहा है
कुंडे का त्यौहार क्यों मनाया जाता है
कुंडे या कुंडा का त्योहार सहाबी ए रसूल हज़रत अमीर मुआविया साहब के यौमे पैदाइस के मौके पर मनाया जाता है इस दिन कुंडे या कुंडा नियाज या फातिहा की परमंपरा चली आ रही है कुंडे के नियाज या फातिहा के बारें में बहुत से लोग का कहना है “खीर पर फातिहा या नियाज होना चाहिए
जबकि ऐसा नहीं है कुंडे का नियाज आप किसी भी पाक और हलाल चीज़ पर कर सकते है नियाज़ के लिए मीठा ज़रूरी नहीं नमकीन खाने पर भी नियाज़ हो सकती हैं मीठा इस्लाम समुदाय में अच्छे या नेक काम के लिए अधिक उपयोग किया जाता है इसलिए आप किसी मीठे का इस्तेमाल कर सकते है
कुंडा फातिहा
कुंडा का फातिहा पढने के लिए दस्तरखान को बिछाए अब कुंडे की फातिहा के लिए जो भी तबर्रुक (खाने की चीज) है दस्तरखान पर सजा दें अगरबत्ती लोबान वगैरह जलाएं लेकिन इन सब को फातिहा के तबर्रुक से दूर रखा जाए
इसके बाद कुंडा की फातिहा के लिए कुछ सूरह एंव आयत पढ़े कुंडा का फातिहा करने के लिए सबसे पहले बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम पढ़े उसके बाद तीन बार दरूद ए इब्राहिम, सूरह इख़्लास, सूरह काफ़िरून, सूरह फलक, सूरह नास पढ़े
इसके बाद “बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम” पढ़े एंव सूरह अल फातिहा की तिलावत करे अब बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम पढ़कर अलिफ़ लाम मीम की तिलावत करे इसके बाद बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम पढ़कर आयत ए खामसह की तिलावत करे
जो भी हाजिरीन फातिहा में हाजिर है सभी लोग बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम के बाद दुरुद शरीफ पढ़े इस तरह से आयत एंव सुरह पढने के बाद कुंडा की फातिहा की दुआं अल्लाह रब्बुल इज्जत से करें
दरूद ए इब्राहिम
“अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद वा अला आली कमा सल्लैता अला इब्रहिमा वा अला आली इब्रहिमा इन्नका हमीदुम मजीद, अल्लाहुम्मा बारीक अला मुहम्मदीव वा अला आली मुहम्मदिन कमा बारकता अला इब्रहिमा वा अला आली इब्रहिमा इन्नका हमीदुम मजीद”
सूरह अल काफ़िरून
कुल या अय्युहल काफिरून ला अ अबुदु मा ताबुदून वला अन्तुम आ बिदूना मा अ अबुद वला ना आबिदुम मा अबद्तुम वलआ अन्तुम आबिदूना मा अअ बुद लकुम दीनुकुम वलिय दीन
सूर: अल इख़्लास
कुल हुवल लाहू अहद अल्लाहुस समद लम यलिद वलम यूलद वलम यकूल लहू कुफुवन अहद
सूर: अल फ़लक़
कुल आऊजु बिरब्बिल फलक मिन शररी मा ख़लक़ वा -मिन शररी ग़ासिकिन इज़ा वकब वामिन शररिन नफ़ासती फ़िल उक़द वामिन शररी हासिदिन इज़ा हसद
सूरह नास
कुल अऊजु बिरब बिन नास मलिकिन नास इलाहिन नास मिन शररिल वसवासिल खन्नास अल्लज़ी युवसविसु फी सुदूरिन नास मिनल जिन्नाति वन नास
सूरह अल फातिहा हिंदी में
अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन अर रहमा निर रहीम मालिकि यौमिद्दीन इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दाालीन – आमीन
अलिफ़ लाम मीम
अलीफ लाम मीम ज़ालिकाल किताबु ला रै बफ़ीह*! हुंदल लिल मुत्तकीनल्लज़ीना यूमिनूना बिल गैबि व युकिमुनस्सलाता व् मिम्मा रजकनाहुम् युनफिकुन *! वल्ल्जीना यूमिनू ना बिमा उन्ज़िला इलैका वमा उन्ज़िला मिन क़ब्लिक * व बिल आख़िरति हुम् युकिनून *! उलाइका अला हुदम मिर रब्बि हिम व उलाइका हुमुल मुफ़लिहून
आयत ए खामसह
व इलाहुकुम इलाहुं वाहिद, लाइलाहा इल्ला हुवर्रहमानुर्रहीम इन्ना रहमतल्लाहि क़रीबुम मिनल मुहसिनीन वमा अरसल नाका इल्ला रहमतल लिल आलमीन मा काना मुहम्मदुन अबा अहादिम मिंर रिजालिकुम वला किर रसूल्लाहि वखा तमन नबीय्यीन व कानल्लाहु बिकुल्लि शैइन अलीमा इन्नल्लाहा व मलाई क त हू यूसल्लूना अलन्न् बिय्यि या अय्यु हल लज़ीना आ मनू सल्लू अलैहि व सल्लिमू तस्लीमा।
दुरुद शरीफ हिंदी में
अल्लाहुम्मा सल्ले अला सय्येदिना व मौलाना मुहम्मदिव व अला आलि सय्येदिना व मौलाना मुहम्मदिव व बारिक व सल्लिम *सलातंव व सलामन अलैका या रसूलुल्लाह * सुब्हाना रब्बिका रब्बिल इज़्ज़ति अम्मा यसीफ़ून * व सलामुन अलल मुरसलीन * वल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन
फातिहा की दुआं
ए अल्लाह मैंने तेरे बारगाह में कुरान शरीफ की तिलावत की ! और दरूद शरीफ पढ़ा ! ए-अल्लाह ! इसे पढ़ने में जो भी गलतिया हुई है ! इसे अपने फज्लो करम से माफ़ फरमा ! और जो कुछ मेने पढ़ा और जो कुछ ये तबर्रुक है
सबसे पहले इसका सवाब सरकारे दोआलम सल्लल्ला हु अलैहि वसल्लम के मुक़द्दस बारगाह में तोह्फतन हदियातन पेश करते है कबूल फरमा हज़रत आदम अलैहि वसल्लम से लेकर हज़रते इसा अलैहि वसल्लम तक कमो बेस एक लाख चौबीस हजार अम्बियाए मुर्सलीन के बारगाह में ये तबर्रुक पेश करते है ! मौला कबूल फ़रमा !
हुजूर के सहाबा सहाबिया अहले बैत अतहार अज़्वाजे मोतहरात जुमला शहीदाने कर्बला जुमला शहाबा तबाईन तबे तबाईन आइममे मुजतहइन बुजुर्गाने दिन मुत्तक़ीन सालेहीन मोमेनीन के अरवाहे को पेस करते है कबूल फरमा
इसका सवाब दस्तगीर रौशन जमीर हजरते गौसे आज़म रज़ि अल्लाहो तआला अन्हा और ख्वाजा ए ख्वाजा हिंदल वली अजमेरी चिस्ती के बारगाह में पेश करते है ! क़ुबूल फ़रमा इस दुनिया से जितनेभी मोमिन व् मोमिनात गुजर चुके है ! उनकी बखसीस फरमा ! और उनको जन्नत में आला से आला मकाम अता फरमा – आमीन सुम्मा आमीन
बिल खुसुस इसका सवाब ऐ अल्लाह तेरे प्यारे मेहबूब बन्दे हज़रत इमाम ज़ाफ़र सादिक रे. अ. की बारगाह में पेश करते है ! क़ुबूल ओ मक़बूल फ़रमा ! इनपे खूब रेहमतो की बारिश अता फ़रमा ! इनके दर्जात में बुलंदी अता फ़रमा ! और इनके वसीले से हमारे गुनाहो को मुआफ फ़रमा ! हमारी रिज़्क में ख़ुशादगी अता फ़रमा ! हमारे ईमान की हिफाज़त अता फ़रमा”
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