KICHOCHA SHARIF KI DARGAH किछौछा शरीफ दरगाह किछौछा शरीफ के चमत्कार किछौछा शरीफ में किसकी दरगाह है किछौछा शरीफ दरगाह कब खुलेगा
किछौछा दरगाह में समय समय पर कई तरह का मेला आयोजन किया जाता है जिनसे से हम सबसे महत्वपूर्ण सालाना (वार्षिक) उर्स मेला की जानकारी दे रहे है आइये जाने किछौछा शरीफ में कौन कौन से मेला लगते है और किछौछा शरीफ में मेला कब लगता है एंव किछौछा शरीफ का इतिहास
KICHOCHA SHARIF KI DARGAH
हर साला किछौछा शरीफ का मेला (वार्षिक) लगता है जिसे उर्स मेला के नाम से भी जाना जाता है – वार्षिक उर्स मेला: किछौछा दरगाह शरीफ में सूफी संत हजरत मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानी रहमतुल्लाह अलैह के मजार पर कई मेले लगते हैं। सबसे महत्वपूर्ण सालाना उर्स मेला माना जाता है। प्रत्येक वर्ष उर्दू माह के मोहर्रम के महीने में इस मेले का आयोजन होता है।
Kichocha Sharif ka Mela
यह मेला मोहर्रम माह के 25 तारीख से लेकर 28 मोहर्रम तक चलता है। चूंकि सूफी संत मखदूम अशरफ का देहान्त 28 मोहर्रम को ही हुआ था। इसलिए सालाना उर्स के दौरान 28 मोहर्रम के दिन का काफी महत्व है।
परम्परा के अनुसार सालाना उर्स के मौके पर ही सज्जादानशीन तोहफा व उपहार में सूफी संत हजरत मखदूम अशरफ को मिले सैकड़ों वर्ष पुराने ऐतिहासिक महत्व वाले खिरका मुबारक (झुब्बा नुमा पोशाक) पहनकर व परिधान के अन्य वस्तुओं को धारण करके खिरका पोशी की रश्म को अदा करता है।
मखदूम साहब के परिधान का दर्शन करने के लिए उर्स के दौरान देशभर के लाखों श्रद्धालुओं का दरगाह परिसर में मजमा लगा रहता है। 25 से 28 मोहर्रम तक चलने वाले उर्स के दौरान भारत के विभिन्न प्रान्तों-शहरों के अनुमान के मुताबिक लगभग 1 लाख से लेकर 6 लाख तक श्रद्धालु दरगाह परिसर में डेरा डाले रहते हैं।
ऐसी मान्यता है कि उर्स के मौके पर सूफी संत हजरत मखदूम अशरफ की पोशाक सहित अन्य वस्तुओं के दर्शन करके दुआएं मांगने से मन्नतें-मुरादें पूरी होती हैं।
8 दिवसीय मोहर्रम का मेला – किछौछा शरीफ
किछौछा दरगाह शरीफ में हजरत मखदूम अशरफ के मजार पर 8 दिवसीय मोहर्रम के रात्रि जुलूस के मेले का आयोजन होता है। उर्दू माह मोहर्रम की 3 तारीख से लेकर 10 मोहर्रम तक यह मेला जारी रहता है।
दरगाह शरीफ के आस्ताने (मुख्य स्थान) से मोहर्रम की 3 तारीख से चैकी, अलम, निशान व ताजिए का जुलूस निकलता है। प्रत्येक दिवस रात्रि 9 बजे से आस्ताने से मलंग गेट, गौसिया मस्जिद मार्ग होते हुए अंत में ऐतिहासिक सलामी फाटक के निकट यह जुलूस पहुंचता है। 7 मोहर्रम को दिन में भी आस्ताने से जुलूस निकाला जाता है।
9 मोहर्रम को दरगाह शरीफ से ऐतिहासिक बड़ी ताजिया निकाली जाती है। खास बात यह है कि दरगाह शरीफ की चादर से ही उक्त ताजिए का निर्माण कराया जाता है। 10 मोहर्रम को 8 दिनों तक जारी रहने वाले मोहर्रम के ऐतिहासिक रात्रि जुलूस का समापन होता है। लगभग 627 वर्ष पुराने ऐतिहासिक व प्राचीन पवित्र तालाब ‘‘नीर शरीफ’’ के तट पर दरगाह शरीफ की बड़ी ताजियों के साथ ही अन्य छोटी-बड़ी ताजियों को भी दफनाया जाता है।
8 दिनों तक जारी रहने वाले मोहर्रम के जुलूस में करीब 3 लाख श्रद्धालु सहभागिता करते हैं। आगे-आगे अलम, निशान व ताजिया चला करती हैं। और इसके पीछे-पीछे देशभर के श्रद्धालु मनौती के तौर पर चला करते हैं। 10 मोहर्रम के दिन रिकार्ड तोड़ संख्या में यहां श्रद्धालु पहुंचते हैं। और दरगाह शरीफ के ताजिए के जुलूस का दृश्य देखते ही बनता है।
अजमेरी मेला – KICHOCHA SHARIF
Kichocha Sharif ka Mela: प्रत्येक वर्ष उर्दू महीना रज्जब में यह मेला आयोजित होता है। राजस्थान के अजमेर शरीफ जाने वाले देशभर के जायरीन लगभग 2 सप्ताह तक किछौछा दरगाह में हाजिरी देकर सूफी संत मखदूम अशरफ की दोवा लेकर वे यहां से रवाना होते हैं।
लगभग 2 सप्ताह तक किछौछा दरगाह से लेकर लगभग 5 किमी. की परिधि में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, झारखण्ड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित अन्य प्रान्तों व विभिन्न शहरों के सैकड़ों तीर्थ यात्रियों के बसों का जमावड़ा रहता है।
अजमेरी मेला के दौरान ज्यादातर जायरीन टूरिस्ट बसों के माध्यम से ही यहां आते हैं। इन सभी बसों को किछौछा नगर पंचायत कार्यालय के समक्ष बसखारी-जलालपुर मार्ग पर रोका जाता है। बस से उतरने के बाद पैदल चलकर ही अजमेर जाने वाले जायरीन किछौछा दरगाह में पहुंचते हैं।
बसों के माध्यम से भारी संख्या में जायरीनों के आने के कारण करीब 2 सप्ताह तक अजमेरी मेला के दौरान किछौछा दरगाह शरीफ में काफी रौनक व चहल-पहल देखी जाती है।
नौचन्दी मेला – किछौछा शरीफ
प्रत्येक उर्दू माह में प्रथम वृहस्पतिवार को किछौछा दरगाह में यह मेला आयोजित होता है। माह के अन्य वृहस्पतिवार के मुकाबले प्रथम वृहस्पतिवार को लगने वाले नौचन्दी मेला को काफी शुभ माना जाता है। दो दिवसीय नौचन्दी मेला का समापन शुक्रवार को होता है। इस मेला को नौचन्दी मेला के अलावा मासिक मेला भी कहते हैं।
प्रत्येक नौचन्दी मेला में लगभग एक लाख श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहता है। नौचन्दी मेला में शिरकत करने के लिए बुधवार की रात से ही दर्शनार्थियों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है।
नौचन्दी मेले में भारत के विभिन्न प्रान्तों-शहरों के अलावा मुख्य रूप से वाराणसी, गाजीपुर, मऊ सहित पूर्वांचल के अन्य जनपदों के श्रद्धालु ही सहभागिता करते हैं। नौचन्दी मेले में टूरिस्ट बसों, ट्रेन, निजी चारपहिया वाहनों के माध्यम से श्रद्धालु यहां आते हैं।
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