अक़ीक़ा करने का तरीका AQIQAH KARNE KA TARIKA अकीके की दुआ हिंदी में अक़ीक़ा करने की दुआ aqiqah meaning in hindi aqiqah ki dua aur tarika akika ka tarika
इस्लाम धर्म में अक़ीक़ा यानी जानवर की कुर्बानी मुस्लिम बच्चे या बच्ची के जन्म होने पर किया जाता है अक़ीक़ा इस्लाम धर्म का महत्वपूर्ण रीति रिवाज है जो हजरत मुहम्मद (ﷺ) की बताई हुई सुन्नत भी है आइये जाने अक़ीक़ा करने का तरीका, अक़ीक़ा क्या होता है इत्यादि की जानकारी
अक़ीक़ा क्या होता है
एक बच्चे या बच्ची ( लड़का या लड़की) के जन्म होने पर जानवर की कुर्बानी इस्लामी रीति रिवाज से करना अक़ीक़ा कहलाता है हकीका या अक़ीक़ा के बारें में आसान शब्दों में कहे तो “अक़ीक़ा मुस्लिम परिवार में बच्चा या बच्ची पैदा होने की ख़ुशी में मनाया जाता है एंव रीति रिवाज के अनुसार जानवर जैसे बकरी या मेमने की कुर्बानी की जाती है
इस तरह से “हकीका या अक़ीक़ा” अल्लाह पाक का शुक्रिया अदा करने का एक रीती रिवाज है इस्लाम धर्म में पिता की तीन जिम्मेदारी होती है:-
पहला जब बच्चा या बच्ची पैदा हो तो उसका एक बढ़िया नाम रखा जाएँ
दूसरी जिम्मेदारी जब बच्चा या बच्ची पैदा हो तो उसका “हकीका या अक़ीक़ा” किया जाएं
तीसरी जिम्मेदारी जब बेटा या बेटी बालिग़ हो जाएँ तो उसका निकाह दीनदार एंव अच्छे घराने में कर दिया जाएँ
अक़ीक़ा करने का तरीका
इस्लाम धर्म के अनुसार अक़ीक़ा करने का तरीका जाने –
हकीका या अक़ीक़ा करना वाजिब नहीं है अगर अक़ीक़ा या हकीका न किया जाएं तो कोई गुनाह नहीं होगा लेकिन मुस्त्हद है यानी करना चाहिए हकीका या अक़ीक़ा करने से कई तरह के फायदे मिलते है जैस –
बच्चा या बच्ची के ऊपर जो मुसीबत या बलाएं है वह सब खत्म हो जाती है साथ ही अगर बच्चे या बच्ची को कोई बिमारी होने वाली होती है तो वह सब दूर हो जाती है
इसलिए भी अकीका किया जाता है अक़ीक़ा की जिम्मेदारी एक पिता के ऊपर होती है लेकिन पिता इजाजत दे तो नाना नानी दादा दादी, अन्य रिश्तेदार भी अकीका कर सकते है
अक़ीक़ा करने का तरीका AQIQAH KARNE KA TARIKA
यहाँ जाने अक़ीक़ा करने का तरीका AQIQAH KARNE KA TARIKA –
- अक़ीक़ा में लड़का की तरफ से दो बकरा या बकरी जिबह करना चाहिए
- लड़की की तरफ से एक बकरा या बकरी जिबह करना चाहिए
- कोई गरीब है तो लड़के के लिए भी एक बकरा या बकरी जिबह कर सकता है
- मान्यता है बकरा लड़का की तरफ से अक़ीक़ा में जिबह करना चाहिए
- बकरी लड़की की तरफ से जिबह करना चाहिए
- लेकिन यह गलत मान्यता है लड़का या लड़की दोनों के लिए किसी भी जानवर बकरा या बकरी की कुर्बानी की जा सकती है
अक़ीक़ा करने का अफजल दिन वह है जिस दिन बच्चा पैदा हुआ है उसके 7वे दिन करना किसी कारण 7वे दिन अक़ीक़ा नहीं हो पाया है तो 14वे दिन, 21वे दिन करें 7वे 14वे एंव 21वे दिन पर अक़ीक़ा नहीं हो पाया तो उसके बाद किसी भी दिन करें लेकिन अक़ीक़ा की जो असल फजीलत या फायदा था वह नहीं मिलेगा साथ ही सुन्नत जो है वह भी छुट जाएगा
मान्यता है की अक़ीक़ा जब हो तो बच्चा का वहा होना जरुरी है लेकिन ऐसा नहीं मतलब बच्चा कही पर भी जैसे अस्पताल में फिर भी अक़ीक़ा 7वे दिन कर देना चाहिए जरुरी नहीं है अक़ीक़ा में सबको दावत दिया जाए लेकिन देना चाहे तो दे सकते है
दावत में गरीब एंव रिश्तेदार को खिलाया जा सकता है गुरुर या नाम पैदा करने के लिए या शान के लिए दावत नहीं करे क्योकि इस तरह की दावत अक़ीक़ा या हकीका जायज नहीं है
अकीका का जानवर
अक़ीक़ा का जो जानवर होता है उसका तीन हिस्सा करना चाहिए एक हिस्सा रिश्तेदार के लिए दूसरा गरीब एंव तीसरा खुद के लिए रखें कुछ लोग का कहना है अक़ीक़ा का गोस्त मां बाप नहीं खा सकते है लेकिन यह गलत है अक़ीक़ा का गोस्त मां बाप भी खा सकते है
जब अक़ीक़ा करें तो बच्चे का बाल मुड़ाकर बाल के वजन के बराबर चांदी या कीमत सदका कर देना चाहिए बाल मुड़ाना जरुरी नहीं है लेकिन बेहतर है अगर लड़की है और जवान हो चुकी है ऐसे में बाल मुड़ाना लड़की का हराम है
अगर बाल बच्चा का मुडा दिया गया तो बच्चे के सिर पर जाफरान लगा देना चाहिए जिस दिन अक़ीक़ा कर रहे है उसी दिन लड़का या लड़की जो भी उसका कोई अच्छा सा नाम भी रख दें
अकीके की दुआ हिंदी में
सबसे पहले आपको बता दे – अकीके की दुआ हिंदी में – अक़ीक़ा या हकीका की दुआ लड़की के लिए और लड़के के लिए अलग अलग होती है –
Aqiqah Ki Dua Ladki
अल्लाहुम्म हाजिही अकिकतु बिन्ती फुला न तिन दमुहाबि दमिहा व् लहमुहा बि लहमिहा व अजमुहा बि अजमिहा व् जिल्दुहा बि जिल्दिहा व् शअरोहा बि शअरिहा अल्लाहुम्मज अलहा फ़िदाअल लि बिन्ती मिनन नार – बिस्मिल्लाही अल्लाहु अकबर
Aqiqah Ki Dua Ladka
अल्लाहुम्म हाजिही अकिकतुब्नी फलानिन द मु हा बि द मिही व् लहमुहा बि लहमिहो व अजमुहा बि अजमिही व् जिल्दुहा बिजिल्दिही व् शअरुहा बि शअरिही अल्लाहुम्मज अल्हा फ़िदाअल लि इब्नी मिनननार – बिस्मिल्लाही अल्लाहु अकबर
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