KARBALA KI JUNG KAB HUI THI – कर्बला की जंग कब हुई – इस्लाम धर्म में कर्बला की जंग को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है लेकिन ऐसे भी कुछ दोस्त भाई बहन है जो कर्बला की जंग का वाकया या कहानी नहीं जानते इसलिए सवाल करते है कर्बला की जंग क्यों हुई थी?
कर्बला की जंग कब हुई
हिजरी कैलेंडर के मुहर्रम महीने में कर्बला की लड़ाई , जंग या कहानी शुरू हुई थी यह जंग अच्छाई एंव बुराई के लिए लड़ी गई जिसमे मुहर्रम की यौम-ए-आशूरा के दिन हजरत मुहम्मद साहब ﷺ के नवासे हजरत इमाम हुसैन रजी. की शहादत हुई
इतिहास में इसका जिक्र मिलता है कि कर्बला की लड़ाई या जंग हजरत इमाम हुसैन रजी. और बदबख्त यजीद बादशाह के बीच हुई थी जिसमे हजरत इमाम हुसैन रजी. की तरफ से 72 सिपाही थे कर्बला की जंग के 72 शहीद के नाम पहले ही बताया गया है
तख़्त ताज का गुरुर यजीद के सर पर सवार था इसलिए कई तरह की मनमानी, गलत काम करने के साथ चाहता था हजरत इमाम हुसैन रजी. उसको खलीफा स्वीकार करें
हजरत इमाम हुसैन रजी. यजीद को खलीफा मानने से इनकार कर दिया इस वजह से यजीद जो तख्तोताज के नशे एंव शराब के नशे का आदि था उसने हजरत इमाम हुसैन रजी. से जंग करने को कहता है नहीं तो खलीफा स्वीकार करना होगा
लेकिन हजरत इमाम हुसैन रजी. अच्छाई एंव इस्लाम को बचाने के खातिर जंग का रास्ता अख्तियार किया लेकिन कभी भी हजरत इमाम हुसैन रजी. जंग नहीं चाहते थे लेकिन उनके पास कोई रास्ता भी न था
“क़त्ले हुसैन असल में मरगे यज़ीद है
इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद“
KARBALA KI JUNG KAB HUI THI
READ HERE KARBALA KI JUNG KAB HUI THI ? इस्लाम में कर्बला की जंग यजीदी फ़ौज और हजरत इमाम हुसैन रजी. के 72 सिपाहीयो के बीच हुई थी जंग कर्बला नामक स्थान पर लड़ी गई थी इसलिए कर्बला की जंग या लड़ाई कहा जाता है
हजरत इमाम हुसैन रजी. कभी भी जंग नहीं चाहते थे यजीद को खलीफा भी माना भी नहीं जा सकता था इसलिए जंग करना ही रास्ता था इस जंग में यजीद बादशाह ने हजरत इमाम हुसैन रजी. और उनको साथियो पर पानी की रोक लगा रखा था कहा जाता है
इस जंग में यौम ए आशूरा के दिन इमाम हुसैन रजी. की शहादत हुई यह लड़ाई अच्छाई एंव बुराई की लड़ाई थी जिसमें हार इमाम हुसैन रजी. की हुई लेकिन हार कर भी इस्लाम को जिन्दा कर दिया इस तरह से आपकी जीत हुई आज यजीद नाम का एक व्यक्ति खोजने से भी न मिले जबकि घर गहर में इमाम हुसैन रजी. के नाम पर हुसैन नाम मिल जायेगा इस्लाम का झंडा बुलन्द हुआ और यजीदी हुकूमत जीत कर भी हार गई
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