AJEMER SHARIF HISTORY IN HINDI अजमेर शरीफ का इतिहास

AJEMER SHARIF HISTORY IN HINDI अजमेर शरीफ का इतिहास
AJEMER SHARIF HISTORY IN HINDI अजमेर शरीफ का इतिहास

AJEMER SHARIF HISTORY IN HINDI अजमेर शरीफ का इतिहास – भारत देश में बहुत से दरगाह है उन्ही में से एक दरगाह, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की है जो राजस्थान के अजमेर शरीफ में स्थित है आइये जाने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का इतिहास यानी अजमेर शरीफ दरगाह का इतिहास का सच इन हिंदी

AJEMER SHARIF HISTORY IN HINDI अजमेर शरीफ का इतिहास
AJEMER SHARIF HISTORY IN HINDI अजमेर शरीफ का इतिहास

अजमेर शरीफ का इतिहास

यहाँ पढ़े अजमेर शरीफ का इतिहास AJEMER SHARIF HISTORY IN HINDI – Ajmer Sharif History in Hindi: राजस्थान राज्य के अजमेर शरीफ में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह स्थित है इस दरगाह को सरकारी मान्यता भी प्राप्त है

अजमेर शरीफ दरगाह पर हिन्दू मुस्लिम एंव अन्य धर्म के लोग अपना विश्वास और श्रधा रखते है इसलिए सभी धर्म के लोग इस अजमेर शरीफ दरगाह या मजार पर अपनी अपनी मुराद लेकर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर पहुँचते है लेकिन ऐसे बहुत से लोग है

अजमेर शरीफ में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह स्थित है मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का जन्म वर्ष 1141-42 ई. रहा है ईरान के सिज़िस्तान शहर (वर्तमान सिस्तान) में जन्म हुआ था। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती वर्ष 1192 ई. में अजमेर आए और उपदेश देना अजमेर शरीफ के निवासी को शुरू किया

उपदेश का असर बहुत से स्थानीय लोगो पर हुआ जिसके कारण इस्लाम के प्रति उनका रुझान होने लगा इसलिए बहुत से लोग इस्लाम को मानने लगे और इस्लाम भी कबूल कर लिया ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मृत्यु अजमेर शरीफ में 15 मार्च 1236 को हुआ जहा पर आज अजमेर शरीफ दरगाह का निर्माण है

AJEMER SHARIF HISTORY IN HINDI

READ HERE AJEMER SHARIF HISTORY IN HINDI – हिन्दुस्तान में अजमेर की दरगाह बहुत ही लोकप्रिय है ऐसे में आइये जाने अजमेर की दरगाह का इतिहास इतिहास पता चलता है कि – मुहम्मद बिन तुगलक, शेरशाह सूरी, अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ, दारा शिकोह और औरंगज़ेब जैसे शासक ने अजमेर की दरगाह की जियारत कर चुके है।

हज़रत ख्वाजा मोइन-उद-दीन चिश्ती को भारत में इस्लाम का संस्थापक और दुनिया भर में इस्लाम का महान उपदेशक माना जाता था। भारत में चिश्ती सिलसिले की स्थापना ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती द्वारा की गई थी।

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के शिष्यों के नाम कुछ इस प्रकार है – ख्वाजा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी फरीदउद्दीन गंज-ए-शकर, निज़ामुद्दीन औलिया और नसीरुद्दीन चराग आदि चिश्ती शिक्षाओं को लोकप्रिय बनाने तथा इसे आगे बढ़ाने का कार्य किया शिष्यों का भी योगदान है

अजमेर शरीफ दरगाह मुग़ल काल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है जिसका निर्माण मुग़ल बादशाह ने किया अजमेर शरीफ का निर्माण १३वीं शताब्दी में हुआ था। जहा पर एक विशाल द्वार से पहुंचा जा सकता है

इस दरवाजे को बुलंद दरवाजा कहते है हज़रत ख्वाजा मोइन-उद-दीन चिश्ती की कब्रमक या मकबरा एक गुंबददार कश्च में बनाया गया है जहा पर चांदी की रेलिंग और संगमरमर की स्क्रीन लगी हुई है

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