MUHARRAM KAB HAI – 2024 में मोहर्रम कब है

MUHARRAM KAB HAI 2024 में मोहर्रम कब है
MUHARRAM KAB HAI 2024 में मोहर्रम कब है

MUHARRAM KAB HAI – 2024 में मोहर्रम कब है मोहर्रम की 10 तारीख कब है 2024 Muharram ka chaliswa kab hai 2024 मुहर्रम की छुट्टी कब है

इस्लाम धर्म के मुख्य पर्व में से एक त्यौहार मुहर्रम भी है बकरीद ख़त्म होने के कुछ दिन बाद ही मुहर्रम का त्यौहार ताजिया, जुलुस, ढोल, लकड़ी खेला इत्यादि के साथ मनाया जाता है अभी हाल में ईद उल अजहा यानी बकरीद का त्यौहार ख़त्म हुआ है ऐसे में मुहर्रम का त्यौहार मनाने की तैयारी शुरू हो जाती है

मुहर्रम (मोहर्रम) को मातम का त्यौहार भी कहा जाता है गम इसलिए मनाया जाता है क्योंकि मुहर्रम के 10वी तारीख को ही हजरत इमाम हुसैन (रजी.) की शहादत हुई थी

MUHARRAM KAB HAI 2024

यहाँ पर जाने MUHARRAM KAB HAI 2024 में – इस साल MUHRRAM 17 जुलाई 2024 आने वाली है हर साल मुहर्रम इस्लाम धर्म के मुहर्रम महीने में मनाया जाता है यह इस्लाम के 12 महीना का पहला महीना है

मुहर्रम पुरे 10 दिन का होता है जिसमे सातवा, नौवा दसवा मुहर्रम का अधिक महत्वपूर्ण है मोहर्रम के 40 दिन बाद मुहर्रम चालीसवा भी मनाने का रिवाज है 40 दिन बाद Muharram का chaliswa आने वाला है चालीसा मुहर्रम बहुत कम स्थान पर मनाया जाता है सातवा आठवा नौवा और दसवा मुहर्रम इस्लाम में ख़ास अहमियत रखता है

MUHARRAM KAB HAI 2024 में मोहर्रम कब है
MUHARRAM KAB HAI 2024 में मोहर्रम कब है

2024 में मोहर्रम कब है

हमने पहले ही आपको बता दिया है कि 2024 में मोहर्रम 17 जुलाई 2024 को मनाया जा रहा है आगे जाने मुहर्रम क्यों मनाया जाता है

मुहर्रम क्यों मनाया जाता है

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, मुहर्रम महीना, हिजरी संवत् का प्रथम महीना है। इस्लाम धर्म के पैगम्बर मुहम्मद साहब (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के नवासे इमाम हुसैन (रजी0) एंव उनके साथियों की शहादत मुहर्रम के महीने में हुई थी।

जालिमो ने शहदात का जाम पिलाने से पहले एक बूंद पानी भी न दिया इसलिए ही इस्लाम धर्म के अनुयायी, मुहर्रम को इमाम हुसैन (रजीo) के शहीद होने के गम में मनाते है। सरल और सीधे भाषा में कहे तो मुहर्रम, शहीद इमाम हुसैन और उनके साथियों का कर्बला में शहीद होने के गम में याद करके मनाया जाता है

“क़त्ल-ए-हुसैन अस्ल में मर्ग-ए-यज़ीद है इस्लाम ज़िंदा होता है हर कर्बला के बाद”

मुहर्रम कैसे मनाया जाता है

मुहर्रम पैगम्बर मुहम्मद साहब (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के नवासे इमाम हुसैन (रजीo) के शहादत के गम में मनाया जाता है। मुहर्रम के महीने में इस्लाम के मानने वाले मुहर्रम के दिन का रोजा रखते है।

जिस तरह से इमाम हुसैन को भूखे प्यासे रखा गया उसी तरह से इस्लाम के मानने वाले मुहर्रम के दिन भूखे प्यासे रहकर रोजा रखते है और फिर उनकी याद में ताजिया निकालते है इमाम हुसैन (रजीo) पर, यजीद नाम के बादशाह ने कर्बला के मैदान में पानी पर रोक लगा रखी थी

ऐसे में कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन (रजीo) एंव साथियों को एक बूंद पानी तक नहीं मिला और बिना पानी के ही शहादत का जाम पी गए। इसलिए मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन अपने घर के आसपास जगह जगह पानी के प्याऊ और शरबत की गगरी इत्यादि रखते है।

जिसे कोई भी राहगीर प्यास लगने पर पी सकता है। इसके साथ ही मुहर्रम के दिन ताजिया निकलना, लकड़ी खेला करना, याद में खुद पर चोट करना इत्यादि काम अलग अलग मुस्लिम समुदाय के लोग करते है इस तरह से मुहर्रम मनाया जाता है

मुहर्रम की कहानी क्या है

अगर आपको मुहर्रम को कहानी जानना है तो आपको इमाम हुसैन कर्बला स्टोरी इन हिंदी पढना पड़ेगा –

इमाम हुसैन कर्बला स्टोरी इन हिंदी

कर्बला का वाक्या/स्टोरी कर्बला के मैदान से शुरू होता है। जो आज के ईराक देश में स्थित है कर्बला का बादशाह यजीद था। वह सत्ता के नशे में खुदाई का दावा कर बैठा था

उसकी इच्छा थी मुहम्मद साहब (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के नवासे इमाम हुसैन भी उसे खलीफा माने, जिससे उसका वर्चस्व पुरे अरब में फ़ैलना शुरू हो जाए, लेकिन उसके सामने मुहम्मद साहब (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के एकलौते चिराग इमाम हुसैन (रजीo), यजीद बादशाह के सामने किसी भी हालत में झुकने को तैयार नहीं थे। इसके कारण यजीद के जुल्म एंव अत्याचार बढ़ते जा रहे थे।

Karbala Ka Waqia in Hindi: जब यजीद बादशाह के जुल्म अत्याचार बढ़ने लगे तो हजरत इमाम हुसैन (रजीo) अपने पुरे परिवार के साथ मदीना शहर से ईराक शहर के कुफा जाने लगे। तो रास्ते में ही यजीद की फ़ौज, कर्बला स्थान पर इमाम हुसैन (रजीo) के परिवार और काफिले को रोक दिया।

जिस दिन रोका गया उस दिन मुहर्रम महीने का दूसरा दिन था। कर्बला स्थान पर पानी का एक मात्र स्रोत एक नदी थी। इस नदी पर भी यजीद ने अपनी फ़ौज लगा दी और अपने फ़ौज को हुक्म दिया था।

इमाम हुसैन (रजीo) और उनके साथी जिसमे बच्चे, बूढ़े, बहन, माँ इत्यादि शामिल थे। किसी को भी पानी का एक कतरा बूंद भी न मिल पाए। भूखे प्यासे इमाम हुसैन (रजीo) एंव उनके साथी कर्बला के मैदान में थे।

कर्बला स्टोरी इन हिंदी

यजीद के सामने फिर भी नहीं झुके लेकिन यजीदी फ़ौज, इमाम हुसैन (रजीo) को कई बार यजीद को ईराक का बादशाह (जो खुदा होने का दावा करता था) मानने को कहा लेकिन इमाम हुसैन (रजीo) इस बात से राजी न हुए।

जब इमाम हुसैन (रजीo) ने यजीद को बादशाह मानने से इनकार कर दिया तो यजीद की फ़ौज ने कर्बला के मैदान में ही जंग का ऐलान कर दिया इमाम हुसैन (रजीo) जंग नहीं चाहते थे

लेकिन कोई रास्ता न बचने के कारण जंग करनी पड़ी। जब जंग का ऐलान हुआ उस समय इमाम हुसैन (रजीo) के साथी में 72 सिपाही (बच्चे, बूढ़े, माँ, बहन, भाई) शामिल थे सभी शामिल सिपाही भूखे और प्यासे भी थे

फिर भी यजीद के 80000 की फ़ौज, इमाम हुसैन (रजीo) के 72 सिपाही को क़त्ल करने पर आमदा थे मजबूरन 80000 यजीदी फ़ौज के सामने इमाम हुसैन (रजीo) के 72 सिपाही लड़ कर शहादत का जाम पी गए।

लेकिन यजीद की फ़ौज के सामने इमाम हुसैन (रजीo) के सिपाही घुटने नहीं टेके जिसकी मिसाल दुशमन फ़ौज के सिपाही एक दसूरे को देने लगे क्योकि ऐसे भी बहुत से सिपाही थे। जो दिल से इमाम हुसैन (रजीo) से जंग नहीं चाहते थे। लेकिन पैसे का लालच कब किसका दिमाग नाश कर दे कोई नहीं जानता।

मुहर्रम की कहानी

कर्बला के मैदान से शहीद हुए भाइयो/साथियो/अपने लख्ते जिगरो के शव को हर दिन जंग से उठाकर इमाम हुसैन (रजीo) दफनाते एंव आखिर दिन यानि दसवी मुहर्रम को अकेले जंग किया

लेकिन फिर भी यजीदी फ़ौज उन्हें शहीद न कर सकी। आखिर में अस्र की नमाज अदा करते वक्त, जब इमाम हुसैन (रजीo) सज्दे की हालत में थे उस समय एक यजीदी को लगा सही समय है इमाम हुसैन (रजीo) को मारने का फिर उसने बुजदिली से शहीद कर दिया।

MUHRRAM STORY IN HINDI : इमाम हुसैन (रजीo) हारकर भी जिन्दा है। उनकी याद में इस्लाम का बच्चा बच्चा कर्बला के मैदान को याद करता है। जबकि यजीद जीतकर भी हार गया क्योकि आज यजीद कमबख्त की कब्र कहा है किसी के ढूँढने पर भी पता नहीं चलता।

जंग में यजीद की जीत हुई इमाम हुसैन (रजीo) की हार हुई इमाम हुसैन (रजीo) के सभी साथी शहादत का जाम पी गए। शहादत से पहले 72 सिपाही में से किसी भी एक सिपाही को पानी का कतरा भी नसीब न हुआ।

दस दिन की भूख प्यास तड़प उसके बाद शहादत का जाम पीकर अल्लाह के राह में मुहर्रम की दसवी तारीख को कुर्बान हो गए। कुछ ऐसी था कर्बला का वाकया इसलिए आज इस्लाम में याद में मुहर्रम मनाया जाता है

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