सूरह बकरा की आखिरी आयत SURAH BAQARAH KI AKHRI AYAT

सूरह बकरा की आखिरी आयत SURAH BAQARAH KI AKHRI AYAT
सूरह बकरा की आखिरी आयत SURAH BAQARAH KI AKHRI AYAT

सूरह बकरा की आखिरी आयत SURAH BAQARAH KI AKHRI AYAT Surah Baqarah last 2 Ayat with urdu translation Surah Baqarah last 2 Ayat Tarjuma in Hindi

इस्लाम धर्म की पवित्र कुरान में सूरह बकरा सबसे बड़ी सूरह है इसलिए इस सूरह बकरा को बहुत से लोग याद करके भी भूल जाते है लेकिन भूले को याद करना आसान होता है आइए जाने सूरह बकरा की आखिर दो आयत हिंदी में, अरबी में और सूरह बकरा का तर्जुमा हिंदी में

सूरह बकरा की आखिरी आयत SURAH BAQARAH KI AKHRI AYAT
सूरह बकरा की आखिरी आयत SURAH BAQARAH KI AKHRI AYAT

सूरह बकरा की आखिरी आयत

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सूरह बकरा की आखिरी दो आयत – 1

आमनर-रसूलु बिमा उनजिला इलैहि मिर-रब्बिही वल-मुअ्मिनून कुल्लुन आमना बिल्लाहि व मलाइकतिही व कुतुबिही व रुसुलिही ला नुफर्रिकु बैना अहदिम-मिर-रुसुलिह व कालू समिअ्ना व अताअ्ना गुफरानका रब्बना व इलैकल-मसीर।

सूरह बकरा की आखिरी दो आयत – 2

ला युकल्लिफुल्लाहु नफ्सन इल्ला वुस्अहा लहा मा कसबत व अलैहा मक-तसबत, रब्बना ला तुआखिजना इन-नसीना औ अख-तअ्ना रब्बना वला तहमिल अलैना इसरन कमा हमल-तहु अलल-लजिना मिन कबलिना रब्बना वला तुहम्मिलना मा ला ताकता लना बिह वअ्फु अन्ना, वग-फिरलना, वर-हमना अन्ता मौलाना फन-सुरना अलल कौमिल काफिरीन। आखिर दो आयत 2

Surah Baqarah last 2 Ayat Tarjuma in Hindi | SURAH BAQARAH KI AKHRI AYAT

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Last 2 Ayat 1

ءَامَنَ الرَّسُوْلُ بِمَآ أُنْزِلَ إِلَيْهِ مِنْ رَّبِّهٖ وَالْمُؤْمِنُوْنَ ۚ كُلٌّ ءَامَنَ بِاللّٰهِ وَمَلٰٓئِكَتِهٖ وَكُتُبِهٖ وَرُسُلِهٖ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍ مِّنْ رُّسُلِهٖ ۚ وَقَالُوْا سَمِعْنَا وَأَطَعْنَا ۖ غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَإِلَيْكَ الْمَصِيْرُ

रसूल उसपर ईमान लाए जो कुछ उनके रब की ओर से उनपर नाजिल हुआ और ईमान वाले भी, प्रत्येक, अल्लाह पर, उसके फ़रिश्तों पर, उसकी किताबों पर और उसके रसूलों पर ईमान लाए।

और उनका कहना यह है हम उसके रसूलों में फर्क नहीं करते।’ और उनका कहना है, ‘हमने सुना और इताअत किया हमारे रब! हम तेरी क्षमा चाहते है और तेरी ही ओर लौटकर जाना है।

Last 2 Ayat 2

لَا يُكَلِّفُ ٱللَّهُ نَفْسًا إِلَّا وُسْعَهَا ۚ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَيْهَا مَا ٱكْتَسَبَتْ ۗ رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَآ إِن نَّسِينَآ أَوْ أَخْطَأْنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَيْنَآ إِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهُۥ عَلَى ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لَا طَاقَةَ لَنَا بِهِۦ ۖ وَٱعْفُ عَنَّا وَٱغْفِرْ لَنَا وَٱرْحَمْنَآ ۚ أَنتَ مَوْلَىٰنَا فَٱنصُرْنَا عَلَى ٱلْقَوْمِ ٱلْكَٰفِرِينَ

अल्लाह किसी जान पर उसकी सामर्थ्य से ज्यादा भार नहीं डालता है। उसका है जो उसने कमाया और उसी पर उसका वबाल भी है जो उसने किया। हमारे रब! यदि हम भूलें या चूक जाएँ तो हमें न पकड़ना।

हमारे रब! और हम पर ऐसा बोझ न डाल जैसा तूने हमसे पहले के लोगों पर डाला था। हमारे रब! और हमसे वह बोझ न उठवा, जिसकी हमें उठाने की ताकत नहीं। और हमें माफ कर और हमारी गलतियों को ढाँक ले, और हमपर दया(रहम) कर। तू ही हमारा संरक्षक है, इसलिए इनकार(कुफ्र) करनेवालों के मुक़ाबले में हमें फतेह दे।

सूरह बकरा की आखिरी दो आयत हिंदी में पीडीएफ

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